Last modified on 26 नवम्बर 2011, at 20:09

है तो है / मधुप मोहता

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:09, 26 नवम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुप मोहता }} {{KKCatGhazal}} <poem> हाँ, मुझे तुम...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हाँ, मुझे तुमसे प्यार है तो है
जान, तुम पर निसार है, तो है

दिल भी बेखुद, बेकरार है तो है
सांझ से, तेरा इंतज़ार है तो है

तू इस दिल का रोज़गार है, तो है
चुरा के दिल को, तू फ़रार है तो है

जुनूं सर पर, फिर सवार है, तो है
डालना दिल पे डोरे, कारोबार है तो है

तेरा तसव्वुर, मेरा ख़ुमार है, तो है
ख्वाब मेरा, तुझ पर उधार है तो है