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रात काली, ख्वाब भूरे हैं / मधुप मोहता

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रात काली, ख्वाब भूरे हैं
दिन तुम्हारे बिन अधूरे हैं

हसरतें, अरमान, ख्वाहिश
हाँ, इश्क के आसार पूरे हैं

तुम हो नज़रों में, काफी है
यूँ सुना है, ज़न्नत में हूरें हैं

आँखों में उतर आया सावन
आंसुओं की लड़ी के झूरे हैं

चलो छुप जाएँ कहीं चुपके से
लोग बेवजह हमें घूरें हैं