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गणिका गज गीध अजामिल से / शिवदीन राम जोशी

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गणिका गज गीध अजामिल से,
तुम तारि दियो सुनि मैं भी लुभायो।
सुनि और कथा बहु पापी तरे,
धुन्धकारी के हेतु विमान पठायो ।
बड़ पापी से पालो पड्यो अब है,
मोहे तारि उबारि क्यो देर लगायो।
शिवदीन कहे इन बातन को,
सुनि के श्रवना शरणागत आयो।