Last modified on 15 दिसम्बर 2011, at 09:56

गणपति स्तुति / कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:56, 15 दिसम्बर 2011 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = कमलानंद सिंह 'साहित्य सरोज' }} <poem> जय...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जय जय विध्न हरन गननायक
गिरजा नन्दन शुभ वरदायक
सुरनर मुनि सों पुजित प्रथमहि सुभस सुभग के तुम अभिधायक।
सकल कलेश विनास करन हित तेरो नाम वन्यो है सायक।।
रिद्धि-सिद्धि सेवे निसिवासर तुअ गुण गरिमा के सब गायक।
सुमिरत ही फल पावत चारो अधहारी प्रभु त्रिभुवन नायक।।
हरि चरनन में भक्ति रहे नित कविता शक्ति बढे अतिलायक।
मांगत नाथ सरोज तेरो पद जानि तोहि निज परम सहायक।।