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पेट के कहे / रमेश रंजक
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पेट के कहे
भाँवर के-से पाँव
चलते ही रहे
पेट के कहे
हाथों ने जब किया विरोध
भीतर के आदम ने
दिया नहीं क्रोध
ऐसे भी आए लमहे
पाँव चलते ही रहे
तोड़ दूँ धमनियों का पुल ?
अरे ! कहाँ से लाऊँ ?
शक्ति वह अतुल
क़दम-क़दम मुँहबाए
अजदहे
पाँव चलते ही रहे
पेट के कहे