भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हक़ीक़त-ए-तसव्वुर / रेशमा हिंगोरानी

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 31 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रेशमा हिंगोरानी |संग्रह= }} {{KKCatNazm}} <poem> ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी बाहों में पिघलता हुआ सीमाब<ref>पारा / mercury</ref> कभी,
मेरी आगोश<ref>गोद</ref> में सोया हुआ सा ख़्वाब कभी,
ये मुख्तलिफ<ref>अलग-अलग</ref> तेरे अंदाज़ लुभाएँ मुझको!

कभी उड़ता हुआ बादल है तू,
बरसात कभी,
कभी जवाब बने है,
तो सवालात कभी…

तू हक़ीक़त है
तो क्यूँ सामने आता ही नहीं?
तू तसव्वुर<ref>ख़याल / ध्यान</ref> है अगर…
छू रहा है कैसे मुझे?

1992

शब्दार्थ
<references/>