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एक रोता हुआ मुँह और एक हँसता हुआ मुँह
ख़ामोश तमाशबीनों के सामने विकट लड़ाई करते हुए।
दोनों के हाथ में आ जाते हैं मुँह, वे नोचते-खसोटते हैं
एक-दूसरे का मुँह
टकरा-टकरा कर टुकड़े-टुकड़े और लहूलुहान हो जाते हैं वे।
जब तक कि रोता हुआ मुँह हार मानकर हँसने नहीं लग गया,
जब तक कि हँसता हुआ मुँह हार मानकर रोने नहीं लग गया।