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देह वज़ह है प्रेम की / येहूदा आमिखाई
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देह वज़ह है प्रेम की
उसके बाद, इसे सुरक्षित रखने वाला एक किला
उसके बाद, प्रेम की क़ैद है यह ।
मगर जब ख़त्म हो जाती है देह,
आज़ाद हो जाता है प्रेम
बे-हिसाब और बे-रोकटोक,
जैसे ख़राब हो जाए
सिक्के डालने वाले जुए की कोई मशीन
और तेज़ खनखनाहट के साथ उगल दे बाहर
सारे सिक्कों को एक साथ
क़िस्मत की सारी पीढ़ियों को ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल