भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे सात जनम / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
Kavita Kosh से
मेरे सात जनम
रचनाकार | रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' |
---|---|
प्रकाशक | अयन प्रकाशन, 1/20 महरौली , ,नई दिल्ली–110030 |
वर्ष | 2011 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | हाइकु कविताएँ |
विधा | हाइकु |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | 978-81-7408-522-1 |
विविध | मूल्य(सजिल्द) :160 |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- मेरे सात जनम में रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' की रचनाएँ
- व्याकुल गाँव-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- फैली मुस्कान-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- काँपती देह -हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- प्यार का कर्ज़-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- उठी थी पीर-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- इस जग में -हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- सिहरा ताल-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- शीतल छाँव-हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
- निर्मोही जग -हाइकु / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’