Last modified on 27 अगस्त 2012, at 19:29

ए रे वीर पौन / घनानंद

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:29, 27 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} एरे बीर पौन ,तेरो सबै ओर ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


एरे बीर पौन ,तेरो सबै ओर गौन, बारी

तो सों और कौन मनौं ढरकौंहीं बानि दै.

जगत के प्रान ओछे बड़े को समान

‘घनआनन्द’ निधान सुखधानि दीखयानि दै.

जान उजियारे गुनभारे अन्त मोही प्यारे

अब ह्वै अमोही बैठे पीठि पहिचानि दै.

बिरह विथा की मूरि आँखिन में राखौ पुरि.

</कवित्त>