जिन आँखिन रूप-चिन्हार भई ,
तिनको नित ही दहि जागनिहै .
हित-पीरसों पूरित जो हियरा ,
फिरि ताहि कहाँ कहु लागनिहै .
‘घनआनन्द’ प्यारे सुजान सुनौ,
जियराहि सदा दुख दागनि है .
सुख में मुख चंद बिना निरखे,
नखते सिख लौं बिख पागनि है .
जिन आँखिन रूप-चिन्हार भई ,
तिनको नित ही दहि जागनिहै .
हित-पीरसों पूरित जो हियरा ,
फिरि ताहि कहाँ कहु लागनिहै .
‘घनआनन्द’ प्यारे सुजान सुनौ,
जियराहि सदा दुख दागनि है .
सुख में मुख चंद बिना निरखे,
नखते सिख लौं बिख पागनि है .