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मल्लिक न मंजुल मलिंद मतवारे मिले(ऋतु वर्णन) / पद्माकर

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मल्लिक न मंजुल मलिंद मतवारे मिले ,
          मंद मंद मारुत मुहीम मनसा की है .
कहै ‘पदमाकर’ त्यों नदन नदीन नित ,
          नागर नबेलिन की नजर नसा की है .
दौरत दरेर देत दादुर सु दुन्दै दीह,
          दामिनी दमकंत दिसान में दसा की है .
बद्दलनि बुंदनि बिलोकी बगुलात बाग,
          बंगलान बलिन बहार बरषा की है .