भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मेरे नयना भये चकोर / भारतेंदु हरिश्चंद्र
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:21, 28 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भारतेंदु हरिश्चंद्र }}<poem> मेरे नयन...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मेरे नयना भये चकोर .
अनुदिन निरखत श्याम चन्द्रमा सुन्दर नंदकिशोर .
तनिक भये वियोग उर बाढ़त बहु बिधि नयन मरोर.
होत न पल की ओट छिनकहूँ रहत सदा दृग जोर.
कोऊ न इन्हें छुडावनहारों अरुझे रूप झकोर .
हरिचन्द नित छके प्रेम रस जानत साँझ न भोर .