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सच सचमुच नंगा होता है / अश्वनी शर्मा

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सच सचमुच नंगा होता है
सड़क किनारे पर सोता है।

वक्त की चादर मैली होगी
धूप का टुकड़ा क्या धोता है।

दुनिया में बस मां ही जाने
कोई बच्चा क्यों रोता है।

अपने करने से क्या होगा
जो होता है, वो होता है।

कच्चे आंगन में फल देगा
अगर कोई सपने बोता है।

वक्त की फितरत समझो यारो
वक्त पलक झपके खोता है।

मेरा इक नाचीज़ सा आंसू
दुनिया भर के गम ढोता है।