चरन छिदत काँटनि ते स्रवत रुधिर सुधि नाहिं .
पूछति हौं फिरि हौं भटू खग मृग तरु न माहिं .
कबै झुकत मो ओर को ऐहैं मद गज चाल .
गर बाहीं दीने दोऊ प्रिया नवल नंदलाल .
चरन छिदत काँटनि ते स्रवत रुधिर सुधि नाहिं .
पूछति हौं फिरि हौं भटू खग मृग तरु न माहिं .
कबै झुकत मो ओर को ऐहैं मद गज चाल .
गर बाहीं दीने दोऊ प्रिया नवल नंदलाल .