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यह भी देखा:वह भी देखा / हरिवंशराय बच्चन
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गाँधी : अन्याय अत्याचार की दासत्व सहती
मूर्च्छिता-मृत जाति की
जड़ शून्यता में
कड़कड़ाती बिजलियों की
प्रबल आँधी :
ज्योति-जीवन-जागरण घन का
तुमुल उल्लास!
गाँधी : स्वार्थपरता,क्षुद्रता,संकीर्णता की
सम्प्रदायी आँधियों में,
डोलती,डिगती,उखड़ती,
ध्वस्त होती,अस्त होगी,
आस्थाओं,मान्यताओं में,
अतल आदर्श की चट्टान पर
जगती हुई लौ का
करुण उच्छ्वास!
गाँधी : बुत पत्थरों का,मूक,
मिट्टी का खिलौना,
रंग-बिरंगा चित्र,
छुट्टी का दिवस,
देशान्तरों में पुस्तकालयों को
समर्पित किये जाने के लिए
सरकार द्वारा,
आर्ट पेपर पर,प्रकाशित
राष्ट्र का इतिहास!