भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जसोदा!कहा कहौं हौं बात / चतुर्भुजदास
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:47, 4 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चतुर्भुजदास }} Category:पद <poeM> जसोदा!कह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जसोदा!कहा कहौं हौं बात?
तुम्हरे सूत के करतब मो पै कहत कहे नहिं जात.
भाजन फोरि,ढारि सब गोरस,लै माखन दधि खात.
जौ बरजौ तौ आँखि दिखावै,रंचहु नाहिं सकात.
और अटपटी कहँ लौ बरनौ,छुवत पानि सों गात.
दास चतुर्भुज गिरिधर गुन हौं कहति कहति सकुचात.