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कनक बरन बाल,नगन लसत भाल / मुबारक

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कनक बरन बाल,नगन लसत भाल,
         मोतिन के माल उर सोहैं भली भाँति है.
चंदन चढ़ाय चारु चंदमुखी मोहिनी सी,
         प्रात ही अन्हाय पग धारे मुस्काति है.
चुनरी विचित्र स्याम सजि कै मुबारकजू,
         ढाँकि नखशिख तें निपट सकुचाति है.
चंद्रमैं लपेटि कै समेटि कै नखत मानो,
         दिन को प्रनाम किए राति चली जाती है.