Last modified on 6 अक्टूबर 2012, at 14:21

कैधौं मोर सर तजि / आलम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:21, 6 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलम }} Category:पद <poeM> कैधौं मोर सर तजि ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कैधौं मोर सर तजि गए री अन्त भाजि,
           कैधौं उत दादुर न बोलत हैं,ए दई.
कैधौं पिक चातक महीप काहू मारि डारे,
           कैधौं बगपाँति उत अंतगति ह्वै गई?
आलम कहै आली!अजहूँ न आए प्यारे
           कैधौं उत रीति विपरीत बिधि ने ठई?
मदन महीप की दुहाई फिरिबे ते रही,
           जूझि गए मेघ,कैधौं बीजुरी सती भई?