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बोलिए तौ तब जब / सुंदरदास

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बोलिए तौ तब जब बोलिबे की बुद्धि होय,

ना तौ मुख मौन गहि चुप होय रहिए.


जोरिए तो तब जब जोरिबे को रीति जाने,

तुक छंद अरथ अनूप जामे लहिए .


गाईए तो तब जब गाईबे को कंठ होय ,

श्रवन के सुनितहिं मनै जमे गहिए .


तुकभंग, छंदभंग, अरथ मिलै न कछु,

सुंदर कहत ऐसी बानी नहिं कहिए .