लिखता हूं
कुछ पंक्तियां
और टांगता हूं
एफबी<ref>फेसबुक</ref> की खूंटी।
एक झिझक-सी
फिर भी रहती,
कविता इसको
कैसे कहूं !
2012
साँचा:KKMeanond
लिखता हूं
कुछ पंक्तियां
और टांगता हूं
एफबी<ref>फेसबुक</ref> की खूंटी।
एक झिझक-सी
फिर भी रहती,
कविता इसको
कैसे कहूं !
2012
साँचा:KKMeanond