भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तेरे जहान में इन्सान परेशान यहां / तेजेन्द्र शर्मा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:09, 29 अक्टूबर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तेजेन्द्र शर्मा |संग्रह= }} [[Category:कव...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तमाम उम्र गुज़ारी, तलाश में तेरी
छुपा हुआ है मेरे दिल की धड़क़नों में तूं

पुकारता रहा मैं आरती आज़ानों में
मैं भूल बैठा कि इन्सानियत तेरा घर है

हज़ारों पोथियां लिख डालीं शान में तेरी
तुझे परमात्मा, अल्लाह और ख़ुदा जाना

तुम्हारे नाम पर कर डाला कत्ले आम यहां
भजन सुने, पढ़ी नमाज़ सुबहो-शाम यहां

कोई अपने को कहे बेटा, कोई पैग़म्बर
कोई कोई तो यहां ब्रह्म बना बैठा है

कहां तू सो रहा है कमली वाले मुझको बता
तेरे जहान में इन्सान परेशान यहां