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सुबह तुम्‍हें सौंपी थी थोड़ी सी पूँजी / लाल्टू

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सुबह तुम्‍हें सौंपी थी थोड़ी सी पूँजी
विद्युत चुंबकीय तरंगों के जरिए
सुबह की पूँजी सारे दिन चलाती है मन की गाड़ी
दिन भर मुस्‍कुराती हो तुम
डर लगता है कि इतना काफ़ी नहीं है
और फिर मेरे प्‍यार की मिठास बँटती भी तो होगी
हर प्राण लेता होगा मेरे चुंबन का एक टुकड़ा
प्‍यास लगती होगी तुम्‍हें तो कहाँ जाती होगी तुम
डर लगता है कि मेरी छुअन की तड़प में तुम
पेड़ों को सुनाती होगी दुखड़े
कैसे रोकूँगा पेड़ों को तुम्‍हारे आँसू पोंछने से
कैसे कहूँगा कि ये अश्‍क सिर्फ़ मेरे लिए हैं
डरता डरता हवा में उछालता हूँ अनगिनत चुंबन।
हिन्‍दुस्‍तान जाग रहा है
हाई बीम सामने के काँच पर टकराकर आँखें चौंधियाती है
तकरीबन दृष्‍टिहीन सा चलाता हूँ गाड़ी
लौटते हुए देखता हूँ हिन्‍दुस्‍तान जाग रहा है
मेरी पहली चिंता सुरक्षित घर पहुँचने की है

जागते हुए हिन्‍दुस्‍तान को देखना
इंसान की बुनियाद से वाकिफ़ होना है
रेंगता हुआ शहर जागता है
रेंगते हुए शहर के बाहर के इलाके बन रहे हैं शहरी इलाके
रेंग रहा है हिन्‍दुस्‍तान एक लिजलिजे गिरगिट की तरह

घर लौटने तक सुबह का उजियारा आने को है
खिड़की खोलने पर दिखता है पिछवाड़े का छोटा सा जंगल
जैसे गलती से बचा हुआ एक जीवन का कोना
गलती से बची हुई हवा
गलती से बचे हुए हैं कुछ पक्षी यहाँ
जाग रहा है पिछवाड़े में गलती से बचा हुआ
हिन्‍दुस्‍तान का जीवन।