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अधूरी कविता / वर्तिका नन्दा

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थके पांवों में भी होती है ताकत
देवदारों में चलते हुए
ये पांव
झाड़ियों के बीच में से राह बना लेते हैं
गर
भरोसा हो
सुबह के होने का
सांसों में हो कोई स्मृति चिह्न
मन में संस्कार
और उम्मीदों की चिड़िया
जिंदा है अगर
तो जहाज के पंछी को
खूंटे में कौन टांग सकता है भला?