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रस्सी का निशान / अभिमन्यु अनत
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मैं अनेमियाग्रस्त हूँ
इसलिए पोषक तत्त्व की चाह में
तुम मेरे पसीने को अब
पीना बन्द कर दो
अन्यथा तुम्हें भी
मेरा रोग लग जायेगा ।
तुम और किस स्वर्ग की बात करते हो
मैं तो दो स्थलों को जानता हूँ
एक वह वटवृक्ष है जहाँ जलकर
मेरे पूर्वज स्वर्गवासी हुए
दूसरा वह स्थान जहाँ
मेरा भविष्य मरकर वास कर रहा
मेरे पसीने के सैलाब में तैरकर
जब तुम्हारी उमस कम हो जाये
तो मेरी पीठ के सलीब को
ज़रा ढीला कर जाना
रस्सी मेरे गोश्त के
आधे इंच भीतर चली गयी है ।