भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कविता! / महेश रामजियावन
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:57, 10 दिसम्बर 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश रामजियावन }} {{KKCatMauritiusRachna}} <poem> कवि...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कविता !
केवल गुलाब की एक पंखुड़ी नहीं है
फूलों का गुच्छा भी है
चमेली का हार भी है
बसन्त में बागों की बहार भी !
कविता !
बर्फीली ढलानों की सर्दी नहीं
गरम उनी कोट भी है
आग की चिनगारी भी है
अंगार भी
पिनातोवो की ज्वालामुखी भी !
कविता
केवल कोयल की कूक नहीं
बालक की मुस्कान भी है
मधुर बयार भी है
नयी नवेली का श्रृंगार भी है !
कविता !
सिर्फ विरहिणी की आंखों के आंसू नहीं
झर-झर निर्झर भी है
घायल हिरणी के सीने से बहता रक्त भी है
युद्ध-स्थल में मृत सैनिक के घाव से बहता पीप भी !
कविता !
सिर्फ मेघों का गर्जन नहीं
उमड़ता तुफान भी है
सुनामी का प्रलयंकर उफन भी है
दहकता तोप का गोला भी है
चट्टानों से टकराता ज्वारभाटा भी है
हिरोशिमा और नागासाकी की उफनती ज़हरीली धुआं भी !