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गुलामी का सिलसिला / पूजानन्द नेमा

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कनाडियन छत के नीचे
इटालियन दीवारों के बीच
जापानी श्यामपट के सामने
फ्रांसीसी पुस्तकें लिए
बैठे हैं अंग्रेजी लिबास में
स्कूल के नन्हे बच्चे ।

हाथ में चीनी कलम है
मेज़ पर तुरकी पाटी है
जेब में मिठाई यूरोप की
और परदेशी भाषा में
पाठ पढ़ाना है स्वदेशीपन का
अजीब अंतर्राष्ट्रीयता का स्वाद है ।

माल-असबाब
दवा-दारू और जेवर
बड़े-बड़ों की पसंद
दाब-केसब परदेशी हों
तो भारतीय पाल की
अंग्रेज़ी बोट में बैठे-बैठे
अपना कोई चैन से
अब क्यों न स्कॉच हिस्की पीयेगा
यही तो आज़ादी का स्वाद है ।