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मेरी गुड़िया की शादी / सलिल तोपासी
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मंडप तैयार हो चुका था
पंडित जी भी पहले से विराजमान थे
नई लाल जोड़े में सजी थी दुल्हन
दूल्हा भी सज कर आया हुआ था
अचानक शहनाई की आवाज़ कहीं से आने लगीं
देख रहा था मैं कल्पना लोक में
इस नए दम्पति के
भविष्य के आने वाले हरे भरे दिन
जब,
अचानक !
छीन ले गई मेरी पड़ोसन
अपनी बेटी के गुड्डे को
कारण क्या था आखिर?
मेरी गुड़िया थी अहिरिन
और मेरे पड़ोसी थे बाबूजी
पल में बिखर गए वे करोड़ों सपने
मेरी गुड़िया की शादी के
कई सालों तक मज़ाक बन कर आती रही है
मेरी गुड़िया की शादी!