भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यादव जी ! / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:49, 18 फ़रवरी 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिविक रमेश }} Category:कविता <poeM> मोह तो ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
मोह तो त्यागना पड़ता है
पुरानी से पुरानी
पुस्तकों-पत्रिकाओं का भी
एक उम्र होने पर!
काश
पुस्तकें-पत्रिकाएँ भी
जायदाद हुई होतीं
हुई होतीं जेवरात ज़रूरी।
होतीं बैंक बैलेंस ही आकर्षक!
तो मशक्कत तो न करनी पड़ती इतनी
खोजने में इनके
उत्तराधिकारी
यादव जी!