भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सावन बरसे तरसे दिल / दहक

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:22, 29 मार्च 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKFilmSongCategories |वर्ग= सावन गीत }} {{KKFilmRachna |रचनाकार=मज़रूह ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रचनाकार: मज़रूह सुल्तानपुरी                 

 सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में
सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में

 इक मुहब्बत का दीवाना ढूंढता सा फिरे
कोई चाहत का नज़राना दिलरुबा के लिए
छम छम चले पागल पवन आए मज़ा भीगें बलम
भीगें बलम फिसलें कदम बरखा बहार में

सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में

(इक हसीना इधर देखो कैसी बेचैन है
रास्ते पर लगे कैसे उसके दो नैन हैं
सच पूछिये तो मेरे यार
दोनों के दिल बेइख़्तियार
बेइख़्तियार हैं पहली बार पहली बहार में

सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में
सावन बरसे तरसे दिल
क्यूं ना निकले घर से दिल
बरखा में भी दिल प्यासा है
ये प्यार नहीं तो क्या है
देखो कैसा बेक़रार है भरे बज़ार में
यार एक यार के इंतज़ार में