भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक खिले फूल से / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:30, 7 अप्रैल 2013 का अवतरण
एक खिले फूल से
झाड़ी के एक खिले फूल ने
नीली पंखुरियों के
एक खिले फूल ने
आज मुझे काट लिया
ओठ से,
और मैं अचेत रहा
धूप में