Last modified on 25 अप्रैल 2013, at 18:31

दुआ नहीं तो गिला देता कोई / मोहसिन नक़वी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 25 अप्रैल 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहसिन नक़वी }} {{KKCatGhazal}} <poem> दुआ नहीं त...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दुआ नहीं तो गिला देता कोई
मेरी वफाओं का सिला देता कोई

जब मुकद्दर ही नहीं था अपना
देता भी तो भला क्या देता कोई

हासिल-ए-इश्क फकत दर्द है
ये काश पहले बता देता कोई

तकदीर नहीं थी अगर आसमान छूना
ख़ाक में ही मिला देता कोई

बेवफा ही हमें बेवफा कह गया
इस से ज्यादा क्या दगा देता कोई

गुमान ही हो जाता किसी अपने का
दामन ही पाकर हिला देता कोई

अरसे से अटका है हिचकियों पे दिन
अच्छा होता के भूला देता कोई