भारत: एक परिचय / मार्कण्डेय प्रवासी
युग-युग सँ जीवित-सम्मानित
आग-जग में जे राष्ट्र ---
भारत तकरे नाम छई।
हिम-गिरि-निकट बसू वा सिन्धुक शरण गहू अहँ
वायव गति सँ बढ़ू कि कच्छप चालि चलूँ अहँ
दिशि-दिशि कोण-कोण केर मोनक सामासिकता
भारतीयतामय जीवन केर प्राण-प्रबलता
सारस्वत साधना-शिखर पर
शिल्प-शिष्ट जे राष्ट्र--
भारत तकरे नाम छई।
भूगोलक पन्ना जकरा सँ जीवित
उदयाचल पर रवि-किरणक ब्याजँ जे दीपित
सैह धरित्री-खंड अखंड-अजेय देश ई
जैविक रूप-स्वरूप समन्वित अमर देश ई
प्रकृति-प्राण केर साम-गान सँ
अनुप्राणित जे राष्ट्र--
भारत तकरे नाम छई।
सागरक-ह्रदयक अमृतमान संकल्प-कलश-सन
अटल-अजर अविरल गति-मति-परिचालित यौवन
विषपायी, विश्वात्म-सनेह-सौरभसँ सुरभित
सृष्टि-चक्र-हित चक्रपाणि बनि सदिखन मुखरित
प्लाई-पीठ पर वैवस्वत मनु
बनि विचरय जे राष्ट्र
भारत तकरे नाम छई।