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बिके हुए लोग / बसंत त्रिपाठी

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बटन दबाते ही
घूमने लगा पंखा
कितना आज्ञाकारी है
इसे बनाया नहीं है मैंने
खरीदा है

बिके हुए लोग
आदेश बजाते हैं
इच्छाओं पर नाचते हैं

जैसे मेरी इच्छाओं के आगे
नतमस्तक यह पंखा