भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
डंडा-डोली पालकी / कन्हैयालाल मत्त
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:50, 26 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैयालाल मत्त |संग्रह= }} {{KKCatBaalKavita}...' के साथ नया पन्ना बनाया)
डंडा डोली पालकी
जय कन्हैया लाल की!
आगे-बागे टूल के,
झांझ-मंजीरे कूल के
शंख समंदर-कूल के
ढपली धुर बंगाल की!
जय कन्हैया लाल की
कमर करधनी कांस की
वंशी सूखे बांस की
जिसमें जगह न सांस की,
झांकी बड़े कमाल की
जय कन्हैयालाल की
माखन-मिस्री घोलकर
मन-भर पक्का तोलकर
खाते हैं दिल खोलकर
रबड़ी पूरे थाल की
जय कन्हैयालाल की