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भविष्य / अनिल जनविजय

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याद हैं मुझे

तुम्हारे वे शब्द

तुमने कहा था--


एक दिन आएगा

जब आदमी

आदमी नहीं रह पाएगा

वह बंजर ज़मीन हो जाएगा

या ठाठें मारता समुद्र