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तुम ऐसी मोहब्बत मत करना / उबैदुल्लाह 'अलीम'

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तुम ऐसी मोहब्बत मत करना
मेरा ख्वाबों में चेहरा देखो
और मेरे कायल हो जाओ
तुम ऐसी मोहब्बत मत करना

मेरे लफ़्ज़ों में वोह बात सुनो
जो बात लहू की चाहत हो
फिर उस चाहत में खो जाओ
तुम ऐसी मोहब्बत मत करना
यह लफ्ज़ मेरे यह ख्वाब मेरे
हर चंद यह जिसम ओ जान ठहरे

पर ऐसे जिसम-ओ-जान तो नहीं
जो और किसी के पास न हों
फिर यह भी तो मुमकिन है, सोचो
यह लफ्ज़ मेरे, यह ख्वाब मेरे
सब झूठे हों

तुम ऐसी मोहब्बत मत करना
गर करो मोहब्बत तो ऐसी
जिस तरहां कोई सच्चाई की रद
हर झूठ को सच कर जाती है