सुनो,
स्यूडो फेमनिस्ट!
तुम्हारे स्त्री विचारों ने
फैला दी है चारो तरफ
बास
तुम्हारे अधकचरे विचार
पैदा कर रहे है
समाज में द्वंद
आज़ादी स्वतंत्रता समानता
और मुक्ति के नाम पर
गफ़लत फैला रहे है
एक की आजादी नहीं होती
सबकी आजादी
इसलिए
सबकी आजादी की बात करो
मुक्ति भी
एक दूसरे से जुड़ी होती है
जैसे माला में
मोती से मोती जुडे होते हैं
किसी एक वर्ग के मुक्त होने से
नहीं हो सकते सभी मुक्त
तुम्हारी अपनी कुंठाए
अपनी महत्वकांक्षा
केवल और केवल
अपने बारे में सोचते हुए
आँदोलन और आजादी के
नाम पर
भोगविलास में डूबे जीवन के
झंडे गाड़ना बंद करो।