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जब गर्दिशों में जाम थे / अब्दुल हमीद 'अदम'
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जब गर्दिशों में जाम थे
कितने हसीं अय्याम थे
हम ही न थे रुसवा फ़क़त
वो आप भी बदनाम थे
कहते हैं कुछ अर्सा हुआ
क़ाबे में भी असनाम थे
अंजाम की क्या सोचते
ना-वाक़िफ़-ए- अंजाम थे
अहद-ए-जवानी में 'अदम'
सब लोग गुलअन्दां थे