तंगदस्ती अना दोनों ही साथ हैं
दर्द बच्चों से अपना छुपाते रहे
बेवफाई का इल्ज़ाम सर पे लिए
दोस्ती दोस्तों को सिखाते रहे
अब तो तनहाई ही अन्जुमन हो गयी
दर्द खुद को ही अपना सुनाते रहे
जाम छलका जो हाथों से उनके कभी
ढंग-ए-रिन्दी ही आरिफ़ बताते रहे