भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आदिवासी 2 / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:46, 27 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी }} {{KKCatKavita}} <poem> कांग्रेसी मर...' के साथ नया पन्ना बनाया)
कांग्रेसी मरे तो
हल्ला
हो हल्ला
मानों कांग्रेसी नहीं विदेशी हो
जिनके मरने से सारा देश जाग जाता है
मेरा क्या
मैं जो रोज़ मर रहा हूँ
पीसा जा रहा हूँ
माटा चटनी की तरह रोज़
सील और लोढ़े के बीच!!