भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पोइला बैशाख / भास्कर चौधुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:52, 27 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी }} {{KKCatKavita}} <poem> यह जो देख रहे ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
यह जो देख रहे हैं आप
इन नृत्यांगनाओं को
यह जो दिये हाथ में लिए
कर रही है नृत्य -
सरकार दादा की बहू है
और ये लडकियाँ तीन
नाच रहीं हैं ताल से ताल मिला
सगी बहनें हैं -
दत्ता काकू की बेटियाँ !!