Last modified on 27 जुलाई 2013, at 18:04

बंगाल / भास्कर चौधुरी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:04, 27 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKRachna |रचनाकार=भास्कर चौधुरी }} {{KKCatKavita}} <poem> इन दिनों बंगा...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इन दिनों
बंगाल के आकाश में
धुँआ ही धुँआ है
शहर की नालियाँ और
गाँवों की नदियाँ
पालिथीन के कचड़ों से अंटे पड़े हैं
पर अब भी
बारिश के मौसम में न पानी कम पड़ा है
न खेतों की मिट्टी का काला रंग मध्यम पड़ा है...