Last modified on 8 अगस्त 2013, at 09:50

पास कभी तो आकर देख / कुमार अनिल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:50, 8 अगस्त 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पास कभी तो आकर देख
मुझको आँख उठाकर देख

याद नहीं करता, मत कर
लेकिन मुझे भुलाकर देख

सर के बल आऊँगा मै
मुझको कभी बुलाकर देख

अब तक सिर्फ गिराया है,
चल अब मुझे उठा कर देख

इन पथराई आँखों में
सपने नए सजा कर देख

हार हवा से मान नहीं
दीपक नया जला कर देख

दिल की बंजर धरती पर
कोई फूल खिलाकर देख

तेरा है अस्तित्व अलग
खुद को जरा बता कर देख