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मृत्यु-1 / ओसिप मंदेलश्ताम

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जा रही है बेमन से, अनुपम मीठी है चाल

सदाबहार तरुणी है वो, उम्र है सोलह साल

उसकी भूख सहेली है, गृहयुद्ध मित्र-किशोर

जा रही है तेज़ी से वह, दोनों को पीछे छोड़


उसे लुभाए इस देश में सीमित-सी आज़ादी

ज़बर्दस्ती पैदा की गई कमी और बरबादी

वसन्तकाल में चेरी फूले, फूले मौत आज़ाद

चाहे रुकना इसी देश में सदा को यमराज


(रचनाकाल : 4 मई 1937)