भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मृत्यु-1 / ओसिप मंदेलश्ताम
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:32, 30 अक्टूबर 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम |संग्रह=सूखे होंठों की प्यास / ओसिप ...)
|
जा रही है बेमन से, अनुपम मीठी है चाल
सदाबहार तरुणी है वो, उम्र है सोलह साल
उसकी भूख सहेली है, गृहयुद्ध मित्र-किशोर
जा रही है तेज़ी से वह, दोनों को पीछे छोड़
उसे लुभाए इस देश में सीमित-सी आज़ादी
ज़बर्दस्ती पैदा की गई कमी और बरबादी
वसन्तकाल में चेरी फूले, फूले मौत आज़ाद
चाहे रुकना इसी देश में सदा को यमराज
(रचनाकाल : 4 मई 1937)