भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जनसंघर्ष / रति सक्सेना

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:27, 29 अगस्त 2013 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिसात बिछी है
गोटियाँ नाच नहीं रही हैं
बादल घुमड़ रहे हैं
बरसात हो नहीं रही है
नदी के तेवर समझ नहीं आते
धार सागर से उलटी भाग रही है

केनवास बिछा पड़ा है
रंगों की प्यालियों में
तडक़ रही है
तस्वीरों की प्यास

जीभ पर टिकी कविता
सरक जाती है गले में
जन तैयार हो रहा है
फिर एक संघर्ष के लिए