Last modified on 6 सितम्बर 2013, at 06:45

बस तेरे लिए उदास आँखें / ग़ालिब अयाज़

सशुल्क योगदानकर्ता ३ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:45, 6 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=‘खावर’ जीलानी }} {{KKCatGhazal}} <poem> बस तेरे ल...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बस तेरे लिए उदास आँखें
उफ़ मस्लहत ना-शनास आँखें

बे-नूर हुई हैं धीरे धीरे
आईं नहीं मुझ को रास आँखें

आख़िर को गया वो काश रूकता
करती रहीं इल्तिमास आँखें

ख़्वाबीदा हक़ीक़तों की मारी
पामाल और बद-हवास आँखें

दरपेश जुनूँ का मरहला और
फ़ाक़ा है बदन तो प्यास आँखें