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चाहे ई जान रही... / महेन्द्र गोस्वामी

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होखत जे आ रहल बा, होखे ना अब दिआई।
चाहे ई जान रही चाहे ई जान जाई।।
अधिकार सब गँवा के, जियला में का रखल बा,
दुःख कुल्ही हमरे नामें, सुख तहरे सब दखल बा,
ई बाँट बानर लावल, फिर से सुनऽ बँटाई।
चाहे ई जान रही, चाहे ई जान जाई।।
बरखा लहर-पाला में, खाने-खेते खटीला,
चाहे अंगार बरखो, तिल भर नाहीं हटीला,
महलम से झाँक करके, लिहल मजा बुझाई।
चाहे ई जान रही, चाहे ई जान जाई।।
चाहऽ अगर भलाई, सुख देश आ धरा के,
जीअ आ हमहूँ जीहीं, रस्सी नियन बरा के,
थरती आ धन ह सबके, कबले कहऽ बुझाई।
चाहे ई जान रही, चाहे ई जान जाई।।