भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जौं आजु हरिहिं न अस्त्र गहाऊँ / सूरदास
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:22, 10 सितम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरदास }} {{KKCatPad}} <poem> जौं आजु हरिहिं न ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
जौं आजु हरिहिं न अस्त्र गहाऊँ
तौं लाजौं गंगा जननी को, शांतनु सुत न कहाऊँ.
स्यंदन खंडी महारथि खंड्यो, कपिध्वज सहित गिराऊँ
पांडव दल सन्मुख होय धाऊँ, सरिता रुधिर बहाऊँ
जौं न करौं शपथ प्रभु पद की, क्षत्रिय गति नहिं पाऊँ
सूरदास रणभूमि विजय बिनु, जियत न पीठ दिखाऊँ.