जानो नहीं जिस गाँव में, कहा बूझनो नाम ।
तिन सखान की क्या कथा, जिनसो नहिं कुछ काम ॥
जिनसो नहिं कुछ काम, करे जो उनकी चरचा ।
राग द्वेष पुनि क्रोध बोध में तिनका परचा ॥
कह गिरिधर कविराय होइ जिन संग मिलि खानो।
ताकी पूछो जात बरन कुल क्या है जानो ॥
जानो नहीं जिस गाँव में, कहा बूझनो नाम ।
तिन सखान की क्या कथा, जिनसो नहिं कुछ काम ॥
जिनसो नहिं कुछ काम, करे जो उनकी चरचा ।
राग द्वेष पुनि क्रोध बोध में तिनका परचा ॥
कह गिरिधर कविराय होइ जिन संग मिलि खानो।
ताकी पूछो जात बरन कुल क्या है जानो ॥